tag:blogger.com,1999:blog-9010437087077385956.post4732815702457772064..comments2023-08-08T15:49:53.776+05:30Comments on सरल की डायरी Saral ki Diary: बच्चे, तेरे बड़ों की घुट्टी में क्या है!?Sanjay Groverhttp://www.blogger.com/profile/14146082223750059136noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-9010437087077385956.post-49614729521267369452012-03-24T12:31:28.030+05:302012-03-24T12:31:28.030+05:30बस तकनीक की देन यह इंटरनेट है और आप लोगों का प्रेम...बस तकनीक की देन यह इंटरनेट है और आप लोगों का प्रेम है कि अपने मन की कुछ बातें कह लेता हूं। कभी-कभी मन होता है उन नामी/बेनामी टिप्पणीकारों से मिलने का जो भीषण गर्मी में एकाएक कहीं से ठंडे बादलों की तरह आते हैं और हौले से सर को छूकर निकल जाते हैं।<br />आप सबका बहुत-बहुत आभार।Sanjay Groverhttps://www.blogger.com/profile/14146082223750059136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9010437087077385956.post-44615146113233426452012-03-23T13:52:38.389+05:302012-03-23T13:52:38.389+05:30संजय जी,
आपके विचार सदैव हमारी मानसिकता पर गहरा प्...संजय जी,<br />आपके विचार सदैव हमारी मानसिकता पर गहरा प्रभाव डालते हैं. हमारी परम्परओं और मान्यताओं का हमारी जिंदगी पर इस कदर पैठ है कि हम अपनी सोच से बहार निकल ही नहीं पाते. बच्चों को इस दुनिया में लाना और उनपर अपनी इच्छाएं थोपना, उनको कभी ईश्वर का वरदान मानना, तो कभी इस दुनिया में आने से पहले ही खत्म कर देना महज़ इस लिए कि वो वंश नहीं चला सकती... इन विषयों पर बहुत चर्चा होती है लेकिन आज तक कोई परिवर्तन नहीं.<br />आपके लेख बहुत ही विचारोत्तेजक और सार्थक हैं, शुभकामनाएँ.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9010437087077385956.post-25050166988264447842012-03-22T21:32:59.746+05:302012-03-22T21:32:59.746+05:30एक आदमी समाज को बदलने को सामाजिक दायित्व मानता है ...एक आदमी समाज को बदलने को सामाजिक दायित्व मानता है तो दूसरा यथास्थिति को बनाए रखने में। ऐसे में तय करना आसान नहीं होता कि कौन सही है!Sanjay Groverhttps://www.blogger.com/profile/14146082223750059136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9010437087077385956.post-40470169690738108912012-03-22T14:53:35.739+05:302012-03-22T14:53:35.739+05:30बन्द मुट्ठी लाख की, खुल गई तो खाक की!बन्द मुट्ठी लाख की, खुल गई तो खाक की!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9010437087077385956.post-56367871564618380992012-03-22T13:49:25.297+05:302012-03-22T13:49:25.297+05:30क्या यह दुर्भाग्यपूर्ण नहीं कि सामाजिक दायित्व ...क्या यह दुर्भाग्यपूर्ण नहीं कि सामाजिक दायित्व का दंभ भरने वाला तथाकथित लोकतंत्रीय स्तम्भ भी अन्य स्तम्भों की तरह भौतिकतावादी हो चुका है और समस्त नैतिक मूल्यों से गिर कर उस स्तर पर आ गया है जहॉं किसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना से भाग्य बनाने की चेष्टा के अतिरिक्त कुछ नहीं दिखता।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9010437087077385956.post-58139709041928294102012-03-18T14:39:19.995+05:302012-03-18T14:39:19.995+05:30बहुत ही बेहतर रचना.... सच का सामना हो या फिर टी वी...बहुत ही बेहतर रचना.... सच का सामना हो या फिर टी वी पर आने वाली तमाम खबरें या फिर कार्यक्रम...बच्चे देखते हुए सहज रहते हैं क्योंकि उन्हें समझ नहीं आता..सिर्फ सवालों की झड़ी लगा देते हैं...हम ही अक्सर असहज हो जाते हैं.....प्रतिभा रायudanhausalonki.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9010437087077385956.post-84603440172257052122012-03-15T23:19:25.588+05:302012-03-15T23:19:25.588+05:30क्या यह सहजता किसीको असहज कर रही थी ! पता नहीं।
अ...क्या यह सहजता किसीको असहज कर रही थी ! पता नहीं।<br /><br />अगले एपीसोड देखने को नहीं मिले। शायद बंद हो गया।<br />इन दिनों आचार्य chatursen का नावेल - वयं रक्षामः पढ़ रहा हूँ... काफी कुछ गल्फ भी है इसमें लेकिन सोचता हूँ ...हम सभी लोग गल्प में ही तो जीते हैं...हमारे धर्म शास्त्र हों या फिर कोई एनी धार्मिक किताब सब तो कोरी की कोरी गल्प हैं...बस थोड़ी बहुत सत्यता का पुट लिए हुए... सोचता हूँ... कुछ और हो या न हो..बच्चों के हक़ में सिर्फ इतना कर दिया जाये.. इस किताब को हमें जरुर पद्य जाना चाहिए....या फिर सभ्यता और संकृति रहन सहन.. का एक सच्चा इतिहास हम बच्चों के सेल्बस में जरुर रख दिया जाना चाहिए...और इसे कड़ी से पढाया भी जाना चाहिए...<br />और कुछ हमारे हक़ में कोई करे या न करे..anjule shyamhttps://www.blogger.com/profile/01568560988024144863noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9010437087077385956.post-35468708838475219882012-03-15T23:18:45.600+05:302012-03-15T23:18:45.600+05:30क्या यह सहजता किसीको असहज कर रही थी ! पता नहीं।
अ...क्या यह सहजता किसीको असहज कर रही थी ! पता नहीं।<br /><br />अगले एपीसोड देखने को नहीं मिले। शायद बंद हो गया।<br />इन दिनों आचार्य chatursen का नावेल - वयं रक्षामः पढ़ रहा हूँ... काफी कुछ गल्फ भी है इसमें लेकिन सोचता हूँ ...हम सभी लोग गल्प में ही तो जीते हैं...हमारे धर्म शास्त्र हों या फिर कोई एनी धार्मिक किताब सब तो कोरी की कोरी गल्प हैं...बस थोड़ी बहुत सत्यता का पुट लिए हुए... सोचता हूँ... कुछ और हो या न हो..बच्चों के हक़ में सिर्फ इतना कर दिया जाये.. इस किताब को हमें जरुर पद्य जाना चाहिए....या फिर सभ्यता और संकृति रहन सहन.. का एक सच्चा इतिहास हम बच्चों के सेल्बस में जरुर रख दिया जाना चाहिए...और इसे कड़ी से पढाया भी जाना चाहिए...<br />और कुछ हमारे हक़ में कोई करे या न करे..anjule shyamhttps://www.blogger.com/profile/01568560988024144863noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9010437087077385956.post-87161917182537100172012-03-15T22:49:07.854+05:302012-03-15T22:49:07.854+05:30संजय जी, आप हमेशा ही शानदार और जानदार लिखते है...संजय जी, आप हमेशा ही शानदार और जानदार लिखते हैं ! आपने बच्चों से लेकर माता पिता सभी को धर दबोचा है ! आपने जीर्ण -शीर्ण मान्यताओं पे खूब तंज किया है ! <br /> सबसे अच्छी लगी आपकी भाषा और रुचिकर अभिव्यक्ति ! <br /><br />अशेष सराहना के साथ,<br /> दीप्तिदीप्ति गुप्ताhttp://saralkidiary.blogspot.in/2012/03/blog-post.htmlnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9010437087077385956.post-19546987950037742272012-03-15T16:13:19.927+05:302012-03-15T16:13:19.927+05:30धन्यवाद संजय, ....आपका प्रोत्साहन मायने रखता है......धन्यवाद संजय, ....आपका प्रोत्साहन मायने रखता है....क्योंकि ज्यादातर विषयों पर आपके विचार और उनकी अभिव्यक्ति मुझे बहुत प्रभावित करती है....इस दुनिया में ज्यादातर लोग वही कहते हैं जो उन्हें लगता है उन्हें कहना चाहिए...बहुत कम लोग वो कहते हैं.... जो वो सच में सोचते हैं.....हम में से ज्यादातर लोग खंडित व्यक्तित्व के लोग हैं....अफ्रीका में रंग बेध पर चर्चा करते हैं लेकिन अपने नौकर को उतनी इज्ज़त भी नहीं देते ... जितनी किस्सी को भी बस एक इंसान होने के कारण मिलनी चहिये....बच्चे अगर पैदा किये जाये तो पैदा करने वाले उन्हें श्रेष्ठ नागरिक बनाए की जिमेदारी भी ले....Sunil Balanihttps://www.blogger.com/profile/14806041150956325741noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9010437087077385956.post-49966317762288707422012-03-15T07:20:20.033+05:302012-03-15T07:20:20.033+05:30सुंदर प्रस्तुति।सुंदर प्रस्तुति।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9010437087077385956.post-89399397243769980592012-03-15T06:45:27.750+05:302012-03-15T06:45:27.750+05:30सुनील, आपकी प्रभावशाली आवाज़ में आपका नज़रिया जानन...सुनील, आपकी प्रभावशाली आवाज़ में आपका नज़रिया जानना सुखद रहा। समाज में मान्यता यह बननी चाहिए कि बच्चे पैदा करना नहीं, उन्हें समुचित तरीके से पालना एक बहुत बड़ी ज़िम्मदारी व्यक्तिगत रुप से भी है और सामाजिक तौर पर भी। शेयर करने के लिए शुक्रिया, सुनील।ेSanjay Groverhttps://www.blogger.com/profile/14146082223750059136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9010437087077385956.post-88437646379893533182012-03-14T21:54:50.244+05:302012-03-14T21:54:50.244+05:30बहुत सही लिखा है ....बच्चे कई बार या तो हादसा हैं...बहुत सही लिखा है ....बच्चे कई बार या तो हादसा हैं या फिर शायद वंश को चलते रहने की परंपरा का हिस्सा...कितने लोग इसेके साथ जुडी responsibilty को समझते हैं.....करीब दो साल पहले ...रेडियो पर एक discussion था DOUBLE INCOME NO KIDS के SYNDROM पर...सब लोग कोस रहे थे उन्हें जो बच्चे पैदा नहीं करना चाहते थे....एक कोशिश की थी मैंने अपना पक्ष रखने की...आपके साथ share करना चाहूँगा RECORDING....<br /><br />http://www.esnips.com/displayimage.php?album=2230444&pid=18116956#top_display_mediaSunil Balanihttps://www.blogger.com/profile/14806041150956325741noreply@blogger.com